भारत: हमें क्या सिखा सकता है‘‘ पुस्तक का विमोचन करते मुख्यमंत्री
देहरादून- मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत व वित्त मंत्री प्रकाश पंत ने न्यू कैंट रोड स्थित जनता मिलन हाॅल में प्रसिद्ध दार्शनिक मैक्स मूलर की अंग्रेजी पुस्तक ‘‘इंडिया: वाट कैन इट टीच अस’’ जिसका हिन्दी अनुवाद प्रकाश थपलियाल द्वारा किया गया है और जिसका शिर्षक भारत: हमें क्या सिखा सकता है‘‘ का विमोचन किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि मैक्समूलर ने वेदों की जानकारी को भारत से बाहर ले जाने का प्रयास किया है। भारत जैसे देश में जहां की ‘‘विविधता में एकता’’ को समझना भारतीय लोगों के लिए ही कठिन कार्य है वहाँ मैक्समूलर ने भारत और वेदों को समझने का प्रयास किया और विदेशों में भारतीय इतिहास एवं संस्कृति की जानकारी देने का कार्य किया। मुख्यमंत्री ने प्रकाश थपलियाल को मैक्स मूलर की पुस्तक का हिन्दी अनुवाद करने पर शुभकामनाएं दी। हिन्दी भाषी क्षेत्रों के पाठकों के लिए यह अनूदित पुस्तक उपयोगी होगी। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने प्रकाश थपलियाल द्वारा अनूदित अन्य पुस्तकों का भी अवलोकन किया।कार्यक्रम में भारत: हमें क्या सिखा सकता है‘‘ के अनुवादक प्रकाश थपलियाल ने कहा कि इस पुस्तक में मूलतः यह बताने का प्रयास है कि वेद आर्यों की सामूहिक विरासत हैं और चूंकि वेद केवल भारत में संजो कर रखे गए हैं इसलिए मानव सभ्यता को समझने के लिए भारत को समझना जरूरी है। उन्होंने जर्मन, यूनानी, लेटिन, स्लाव, अरबी आदि अनेक भाषाओं में उपलब्ध एक जैसे शब्दों के आधार पर यह बताने का प्रयत्न किया है कि आर्यों में कभी महाविभाजन हुआ था इसलिए भारत और कई पश्चिमी देशों में आज भी कई एक जैसे शब्द मिलते हैं। उन्होंने संस्कृत को प्राचीनतम मानते हुए यूनानी और लेटिन जैसी प्राचीन भाषाओं की बड़ी बहन बताया है। वे कहते हैं की वेद भारत में जन्मे हैं क्योंकि इतनी बौद्धिक उंचाई प्राप्त करने के लिए जिस तरह की सुरक्षित और साधन-सम्पन्न, आदर्श जलवायु भारत में थी उतनी अन्यत्र नहीं। मैक्स मूलर का एक भाषण भारतीयों की सत्यवादिता को लेकर भी है और वे यह सिद्ध करने का प्रयास करते हैं कि यह सत्यवादिता उन देशों के मुकाबले कहीं ज्यादा है जो स्वयं को अधिक सभ्य होने का दावा करते हैं। मैक्स मूलर के संस्कृत ज्ञान को देखते हुए कई भारतीय विद्वानों ने उन्हें मोक्षमूलर भट्ट नाम दिया था।पूर्व मुख्य सचिव इंदु कुमार पांडे, साहित्यकार चारू चन्द चन्दोला, स्वामी विरेन्द्रानन्द सहित कई विद्वान पुस्तक विमोचन में मौजूद थे।
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