कैलाश खेर संगीत के माध्यम से देंगे पर्यावरण संरक्षण संदेश
ऋषिकेश– सूफी गायक कैलाश खेर ने परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती और जीवा की अन्तर्राष्ट्रीय महासचिव साध्वी भगवती सरस्वती से वार्ता की कैलाश खेर एकेडमी आंफ आर्ट के विषय में भी स्वामी चिदानन्द सरस्वती से विस्तृत चर्चा की। चर्चा के दौरान सबसे अच्छी बात यह थी की उत्तराखण्ड में संगीत का प्रशिक्षण देने हेतु एकेडमी खोलने के लिये शीघ्रता से प्रयास किये जाये।
कैलाश खेर ने कहा कि मुम्बई में इस पर विस्तार से चर्चा कर इस कार्य को आगे बढ़ाया जायेगा। इस एकेडमी में संगीत के रूचि रखने वाले युवाओं की प्रतिभा को निखरने का अवसर दिया जायेगा और जो युवा आर्थिक रूप से सशक्त नहीं है उन्हें इस एकेडमी में संगीत का प्रशिक्षण दिये जाने के विषय में चर्चा की।कैलाश खेर आज परमार्थ निकेतन से 20 रूद्राक्ष के पौधे भी अपने साथ मुम्बई लेकर गये ताकि वहां अपने बगीचे में रूद्राक्ष वाटिका तैयार कर उस सुरम्य वातावरण में संगीत की साधना कर सके। इससे दूसरे लोगों को भी पेड़-पौधे लगाने की प्रेरणा मिलेगी।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि भारत का युवा प्रतिभा सम्पन्न है उनकी प्रतिभा को निखारने और तराशनें के किसी मंच की आवश्यकता होती है। कैलाश खेर एकेडमी ऑफ आर्ट एकेडमी युवाओं के संगीत के टैलेंट को निखारने में निश्चित रूपेन महत्वपूर्ण योगदान देगी। उन्होने कहा कि आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों के लिये संगीत एकेडमी खोलने एक सेवा कार्य है; परमार्थ का कार्य है। मानवता की सेवा ही ईश्वर की सेवा है। ’’परहित सरिस धर्म नहिं भाई, पर पीड़ा सम नहिं अधमाई।’’ अर्थात परोपकार के समान दूसरा कोई धर्म नहीं है। कबीरदास ने इसे बहुत ही सहज रूप से समझाया है कि ’वृक्ष कभी भी अपना फल खुद नहीं चखता, न ही नदी कभी अपना जल पीती है। उसे प्रकार श्रेष्ठ मनुष्य भी अपना कमाया धन परोपकार और परमार्थ के कार्यो में लगाते है।
प्रसिद्ध गायक कैलाश खेर ने कहा कि परमार्थ निकेतन मेरा दूसरा घर है। मैं आज जो भी कुछ हूँ वह माँ गंगा और स्वामी चिदानन्द सरस्वती के आशीर्वाद से हूँ। उन्होने कहा कि गंगा मुझे और मेरे संगीत को जीवंत बनाती है। मुझे यहां से नव जीवन और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है।
कैलाश खेर ने कहा कि मुम्बई में इस पर विस्तार से चर्चा कर इस कार्य को आगे बढ़ाया जायेगा। इस एकेडमी में संगीत के रूचि रखने वाले युवाओं की प्रतिभा को निखरने का अवसर दिया जायेगा और जो युवा आर्थिक रूप से सशक्त नहीं है उन्हें इस एकेडमी में संगीत का प्रशिक्षण दिये जाने के विषय में चर्चा की।कैलाश खेर आज परमार्थ निकेतन से 20 रूद्राक्ष के पौधे भी अपने साथ मुम्बई लेकर गये ताकि वहां अपने बगीचे में रूद्राक्ष वाटिका तैयार कर उस सुरम्य वातावरण में संगीत की साधना कर सके। इससे दूसरे लोगों को भी पेड़-पौधे लगाने की प्रेरणा मिलेगी।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि भारत का युवा प्रतिभा सम्पन्न है उनकी प्रतिभा को निखारने और तराशनें के किसी मंच की आवश्यकता होती है। कैलाश खेर एकेडमी ऑफ आर्ट एकेडमी युवाओं के संगीत के टैलेंट को निखारने में निश्चित रूपेन महत्वपूर्ण योगदान देगी। उन्होने कहा कि आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों के लिये संगीत एकेडमी खोलने एक सेवा कार्य है; परमार्थ का कार्य है। मानवता की सेवा ही ईश्वर की सेवा है। ’’परहित सरिस धर्म नहिं भाई, पर पीड़ा सम नहिं अधमाई।’’ अर्थात परोपकार के समान दूसरा कोई धर्म नहीं है। कबीरदास ने इसे बहुत ही सहज रूप से समझाया है कि ’वृक्ष कभी भी अपना फल खुद नहीं चखता, न ही नदी कभी अपना जल पीती है। उसे प्रकार श्रेष्ठ मनुष्य भी अपना कमाया धन परोपकार और परमार्थ के कार्यो में लगाते है।
प्रसिद्ध गायक कैलाश खेर ने कहा कि परमार्थ निकेतन मेरा दूसरा घर है। मैं आज जो भी कुछ हूँ वह माँ गंगा और स्वामी चिदानन्द सरस्वती के आशीर्वाद से हूँ। उन्होने कहा कि गंगा मुझे और मेरे संगीत को जीवंत बनाती है। मुझे यहां से नव जीवन और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है।
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