लोगों को बीमा पॉलिसी का लालच देकर,ठगी करने वाले तीन शातिर गिरफ्तार
देहरादून – ऊमा कुमार पत्नी स्व0 चन्द्र प्रकाश कुमार निवासी 19/39 ई0सी0 रोड थाना डालनवाला के द्वारा 12 अगस्त को थाना डालनवाला आकर लिखित तहरीर दी कि वर्ष: 2018 में उनके पति की मृत्यू हो गयी थी, अगस्त 2019 में उनके मोबाइल नम्बर पर एक अज्ञात मोबाइल नम्बर धारक व्यक्ति, जिसके द्वारा अपना नाम कृष्णानन्द मण्डल बताया गया, के द्वारा फोन कर खुद को फण्ड क्लेयरेन्स डिपार्टमेन्ट दिल्ली का कर्मचारी बताते हुए उनके पति के नाम पर रू0 64,90000 (चौसठ लाख नब्बे हजार रूपये) की बीमा पालिसी होने की जानकारी दी गयी,
उसके पश्चात अलग-अलग नंबरों से अन्य व्यक्तियों द्वारा भी पुलिस इस प्रक्रिया के संबंध में उनसे संपर्क किया गया तथा पालिसी की धनराशि को प्राप्त करने की विधिक प्रक्रिया को पूर्ण करने की एवज में अलग-अलग खातों में वादिनी से लगभग 36 लाख रूपये ले लिये गये।लिखित तहरीर के आधार पर थाना डालनवाला में मु0अ0सं0: 150/20 धारा: 420, 406, 120 बी भादवि का अभियोग पंजीकृत किया गया। केेेेस के खुलासे और अभियुक्तों की गिरफ्तारी के लिए पुलिस ने साइबर सेल तथा थाना डालनवाला की संयुक्त टीम गठित की गयी। गठित टीम द्वारा अभियुक्तों के मोबाइल नम्बरों तथा जिन खातों में वादिनी द्वारा पैसा जमा कराया गया था, उनके सम्बन्ध में जानकारी प्राप्त की गयी। मोबाइल नम्बरों के सम्बन्ध में जानकारी प्राप्त करने पर सभी नम्बर फर्जी आईडी से लिये जाना ज्ञात हुआ, परन्तु इन नम्बरों के विश्लेषण से एक संदिग्ध नम्बर, जो अंकुर पाठक उर्फ बबलू पुत्र महेश पाठक निवासी: ग्रा0 कुमरपुर, थाना पहासु जिला बुलन्दशहर उत्तरप्रदेश के नाम पर होना प्रकाश में आया तथा जिन खातों में वादिनी द्वारा पैसा जमा किया गया था, खाते बुलन्दशहर के उसी क्षेत्र के होने पाये गये। जिस पर तत्काल पुलिस टीम को जनपद बुलन्दशहर रवाना किया गया। टीम द्वारा बुलन्दशहर पहुंचकर खातों के सम्बन्ध में जानकारी प्राप्त की गयी तो उनमें से दो बैंक खाते प्रशान्त शर्मा तथा हरवीर सिंह के नाम पर होने पाये गये। जिनका पता तस्दीक करने पर वह सही पाये गये। जिस पर पुलिस टीम द्वारा प्रकाश में आये व्यक्तियों के सम्बन्ध में गोपनीय रूप से जानकारी प्राप्त करते हुए स्थानीय मुखबिर तंत्र को सक्रिय किया गया। स्थानीय मुखबिर तंत्र के माध्यम से पुलिस टीम को जानकारी प्राप्त हुई कि अंकुर पाठक नाम का व्यक्ति अपने अन्य साथियो प्रशान्त शर्मा व हरवीर सिंह के साथ मिलकर इस तरह की घटनाओं को अंजाम देता हैं। तथा उनके इस काम में कुछ अन्य लोग भी इनके साथ शामिल हैं। प्राप्त साक्ष्यों व मुखबिर की सूचना के आधार पर पुलिस टीम द्वारा 17 अक्टूबर की सांय अभिुयक्त हरवीर सिंह तथा प्रशान्त शर्मा को खुर्जा बुलन्दशहर से तथा इनसे प्राप्त सूचना के आधार पर रात्रि में अभियुक्त अंकुर पाठक उर्फ बबलू को नोएडा से गिरफ्तार किया गया। अभियुक्तों के कब्जे से ठगी गयी धनराशि, मोबाइल फोन व अन्य दस्तावेज प्राप्त हुए। पुलिस की पूछताछ के दौरान अभियुक्त अंकुर पाठक उर्फ बबलू द्वारा बताया तटट गया कि मैं पूर्व में नोएडा स्थित एक काल सैन्टर में कार्य करता था। कार्य के दौरान हम अक्सर लोगो को काल कर उनकी पालिसी व अन्य मामलों के सम्बन्ध मे उन्हें जानकारियां प्रदान किया करते थे। काल सैन्टर से अच्छी आमदनी न होने के कारण दो वर्ष पूर्व मैने काल सेन्टर का काम छोड दिया था। काल सैन्टर से काम छोडते समय मेरे द्वारा वहां से कई लोगों का डाटा अपने पास रख लिया गया था। काल सैन्टर में काम करने के दौरान लोगो से नियमित रूप से बातचीत करने से मुझे इस बात का आभास हो गया था कि यदि लोगो को बीमा पालिसी या अन्य उपहारों की एवज में मोटी धनराशि का प्रलोभन दिया जाये तो इसके एवज में उनसे अपने खातों में छोटी-छोटी किश्तों में धनराशि आसानी से प्राप्त की जा सकती है। जिसके लिये मैने लोगो को प्रलोभन देकर उनसे ठगी करने की योजना बनाई, इसके लिये मैने अपने एक साथी प्रशान्त शर्मा जो मेरे ही गावं का रहने वाला है को अपने साथ इस योजना में शामिल कर लिया। चूंकि लोगो से ठगी कर धनराशि प्राप्त करने के लिये हमें बैंक खातो की आवश्यकता थी, इसलिये हमने अपने गांव व आस-पास के क्षेत्र के ऐसे व्यक्तियों जिनके बैंको में खाते थे पर उनके पास रोजगार नहीं था से सम्पर्क कर खाते में आयी धनराशि का कुछ प्रतिशत उन्हें कमीशन के तौर पर देने का प्रलोभन देकर उन्हें अपने साथ शामिल कर लिया। योजना के अनुसार प्रशान्त और मैं लोगों से फोन के माध्यम से सम्पर्क कर उन्हें अपने झांसे मैं लेकर उन बैंक खातों में धनराशि का हस्तान्तरण करवाते थे तथा हरवीर व अन्य लोग बैंक खातों से उस धनराशि की निकासी का कार्य करते थे। लोगों से ठगी के माध्यम से प्राप्त धनराशि में से अन्य व्यक्तियों को उनका हिस्सा देने के उपरान्त शेष धनराशि को प्रशान्त और मेरे द्वारा आपस में बांट लिया जाता था। लोगो को फोन करने के लिये मैने लावा कम्पनी का एक मोबाइल फोन लिया था, जिससे मैं वाइस कन्वर्टर के माध्यम से महिला की आवाज बदलकर लोगो को फोन किया करता था क्योकि महिला की आवाज सुनकर लोग आसानी से झांसे में आ जाते हैं तथा बात करने के लिये हम फर्जी आईडी से प्राप्त सिमों का इस्तेमाल किया करते थे। देहरादून में जिस महिला से हमारे द्वारा ठगी की गयी थी, उसका नम्बर मुझे उक्त काल सैन्टर के माध्यम से ही प्राप्त हुआ था तथा उक्त नम्बर को मेरे द्वारा उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल तथा राजस्थान में इसी प्रकार की ठगी का कार्य करने वाले अन्य गिरोह के सदस्यो को भी दिया गया था। अभियुक्त से पूछताछ में इस गिरोह के तार पश्चिम बंगाल, राजस्थान तथा अन्य राज्यों में सक्रिय इस प्रकार के गिरोह से होने प्रकाश में आये हैं, जिसके सम्बन्ध में जानकारी की जा रही है। अभियुक्त द्वारा पिछले दो वर्षों में बीमा पालिसी व अन्य प्रलोभनों के माध्यम से लगभग 25 से 30 लोगो के साथ ठगी की घटनाओ की बात स्वीकार की गयी है, जिसके सम्बन्ध में उनके आपराधिक इतिहास के साथ-साथ अभियुक्तों द्वारा उक्त ठगी की घटनाओं में अब तक ठगी गयी धनराशि के सम्बन्ध में भी सम्बन्धित खातों से जानकारी प्राप्त की जा रही है।
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