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Showing posts from July 17, 2018

दून में खुलेगा सीबीएसई का ट्रेनिंग सेंटर

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देहरादून-दून में जल्द ही सीबीएसई का ट्रेनिंग सेंटर खोला जाएगा। इसके लिए केंद्र सरकार 20 करोड़ रूपए की धनराशि भी स्वीकृत कर चुकी है। मुख्यमंत्री आवास में सेन्ट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंड्री एजुकेशन (सीबीएसई) के क्षेत्रीय निदेशक रणवीर सिंह ने मुख्यमंत्री  त्रिवेन्द्र सिंह रावत से भेंट की। मुख्यमंत्री ने देहरादून में सीबीएसई के ट्रेनिंग सेंटर हेतु भूमि आवंटन के लिए सहमति देते हुए जिलाधिकारी देहरादून को इस सम्बन्ध में शीघ्र प्रस्ताव बनाने क निर्देश दिए।   रणवीर सिंह ने देहरादून में ट्रेनिंग सेंटर हेतु भूमि पर सहमति व सीबीएसई के क्षेत्रीय कार्यालय के लिए भूमि आवंटन के लिए मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त किया। ज्ञातव्य है कि सीबीएसई की क्षेत्रीय विंग द्वारा उत्तराखण्ड में 700 विद्यालयों तथा पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 1100 विद्यालयों के कार्यों की देखरेख की जा रही है। क्षेत्रीय निदेशक श्री रणवीर सिंह ने कहा कि उत्तराखण्ड में सीबीएसई के क्षेत्रीय कार्यालय खुलने से सीबीएसई सम्बन्धित स्कूलों, छात्र-छात्राओं तथा आमजन को व्यापक लाभ पहुंचेगा। मुख्यमंत्री के निर्देश पर सीबीएसई के क्षेत्रीय कार्यालय के लिए पूर्

बेरोजगारों ने लिखा खूनी पत्र प्रधानमंत्री के नाम

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देहरादून-2014 में प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने के बाद सरकार ने प्रत्येक वर्ष दो करोड़ नौकरिया देने का वादा किया था पर सरकार इसमें पूरी तरह विफल रही।आज जहाँ सरकार अपने चार साल पूरे होने पर अपने किये कामों का बखान करने में लगी हुई है वही दूसरी ओर पूरे देश के बेरोजगार युवा सड़कों पर उतरकर आंदोलन करने में लगे हुऐ है।जगह जगह आये दिन बेरोजगारों का गुस्सा सरकार पर उतरता रहता है। एक हैरान करने वाला विरोध प्रदर्शन देहरादून में देखने को मिला जहाँ कुछ प्रशिक्षित बेरोजगारों द्वारा अपने खून से प्रधानमंत्री और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के नाम एक पत्र लिखा जिसमे उन्होने अपनी मांगों का हल निकालने का आग्रह सरकार से किया। अब सवाल ये कि इनको ऐसा करने की क्या जरूरत पड़ी ये हम आपको बताते है दरसल ये युवा 126 दिनों से हड़ताल पर बैठे है पर आज तक उनकी सुनी नही गयी।हालांकि सांसद राज लक्ष्मी शाह जरूर इनसे मिली पर वो भी इनसे किये गये वादे को कचरे के ढेर में डालकर भूल गयी।पिछले 126 दिनों तक जब राज्य सरकार ने उनकी कोई सुध नही ली तो मजबूर होकर इनको प्रधानमंत्री तक अपनी बात पहुंचानी पड़ी।प्रधानमंत्री उनके खत