देवभूमि प्रवास पर अध्यक्ष सुमित्रा महाजन
ऋषिकेश- लोकसभा की अध्यक्ष सुमित्रा महाजन व उत्तराखण्ड विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचन्द्र अग्रवाल परमार्थ निकेतन में पहुंचे। परमार्थ गुरूकुल के ऋषिकुमारों ने दोनों अतिथियों का दिव्य स्वागत किया। महाजन ने परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती से भेंटवार्ता की। स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने वर्तमान समय में नारियों की दशा और उनके खिलाफ बढ़ते अपराधों की ओर सुमित्रा महाजन का ध्यान आकर्षित किया। साथ ही स्वच्छ भारत अभियान में नारियों की भूमिका, योग को समष्टि में समर्पित करना, महिला सशक्तीकरण, नदियों की स्वच्छता, पर्यावरण एवं जल संरक्षण जैसे अनेक सामाजिक विषयों पर विश्द चर्चा की। स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि बेटियों का पढ़ाया जाये जिससे वे आत्मनिर्भर बनेगी तो उनके खिलाफ हो रहे अपराधों में भी कमी आयेगी।सुमित्रा महाजन अपने दो दिवसीय प्रवास पर परमार्थ निकेतन आई है।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती से मुलाकात कर सुमित्रा महाजन और प्रेमचन्द्र अग्रवाल ने परमार्थ प्रागंण में राष्ट्र को सशक्त बनाने एवं छात्रों को शिक्षित और संस्कारित करने हेतु भारत लोक शिक्षा परिषद और परमार्थ निकेतन आश्रम के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित श्रीमद्भगवत कथा में सहभाग किया। स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा, ’शिक्षा पर प्रत्येक मनुष्य का अधिकार है। देश के प्रत्येक बच्चे को शिक्षित करने के लिये समाज के प्रत्येक व्यक्ति को आगे आना होगा। शिक्षा, सिर्फ परीक्षा या प्रतियोगिता पास करने के लिये नहीं होती बल्कि उसका उपयोग जमीनी स्तर पर समाज और देश को आगे बढ़़ाने के लिये होता है। देश का हर बच्चा पढ़ेगा तो देश प्रगति करेंगा। प्राचीन गुरूकुल हो या आधुनिक डिजिटल शिक्षा पद्धति शिक्षा का महत्व हर दौर में था और आगे भी रहेगा। उन्होने कहा कि बेटियोें शिक्षित कर हम उन पर हो रहे अत्याचारों को कम कर सकते है।’ स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि विकास का मूल आधार शिक्षा और संस्कार है जिसके माध्यम से देश नित-नयी ऊंचाईयों का छु सकता है। सुमित्रा महाजन ने कहा कि गंगा का पावन तट स्वंय को जानने का सबसे बेहतर माध्यम है। माँ गंगा की निर्मल लहरे मन को शान्ति, शीतलता और पवित्रता प्रदान करती है। उन्होने कहा कि स्वामी चिदानन्द सरस्वती योग, स्वच्छता, पर्यावरण, जल और नदियों के संरक्षण के क्षेत्र में कार्य कर रहे वह अद्भुत है; स्वामी चिदानन्द सरस्वती का प्रकृति के प्रति प्रेम हम सभी के लिये मार्गदर्शन एवं प्रेरणा का स्रोत है।प्रेमचन्द्र अग्रवाल ने कहा कि ’युवा पीढ़ी को शिक्षित कर राष्ट्र निर्माण की भावना से ओत-प्रोत करना हम सभी का कर्तव्य है। उन्होने कहा कि स्वामी चिदानन्द सरस्वती हमारे प्रेरणा स्रोत है वे भारत को समरसता और सहिष्णुता से युक्त राष्ट्र बनते देखना चाहते है। भारत नव निर्माण के दौर से गुजर रहा है अतः हम सभी कदम से कदम मिलाकर चलना होगा।स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने सुमित्रा महाजन, प्रेमचन्द्र अग्रवाल, अनीता ममगाई एवं अन्य अतिथियाें को पर्यावरण का प्रतीक रूद्राक्ष का पौधा भेंट किया।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती से मुलाकात कर सुमित्रा महाजन और प्रेमचन्द्र अग्रवाल ने परमार्थ प्रागंण में राष्ट्र को सशक्त बनाने एवं छात्रों को शिक्षित और संस्कारित करने हेतु भारत लोक शिक्षा परिषद और परमार्थ निकेतन आश्रम के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित श्रीमद्भगवत कथा में सहभाग किया। स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा, ’शिक्षा पर प्रत्येक मनुष्य का अधिकार है। देश के प्रत्येक बच्चे को शिक्षित करने के लिये समाज के प्रत्येक व्यक्ति को आगे आना होगा। शिक्षा, सिर्फ परीक्षा या प्रतियोगिता पास करने के लिये नहीं होती बल्कि उसका उपयोग जमीनी स्तर पर समाज और देश को आगे बढ़़ाने के लिये होता है। देश का हर बच्चा पढ़ेगा तो देश प्रगति करेंगा। प्राचीन गुरूकुल हो या आधुनिक डिजिटल शिक्षा पद्धति शिक्षा का महत्व हर दौर में था और आगे भी रहेगा। उन्होने कहा कि बेटियोें शिक्षित कर हम उन पर हो रहे अत्याचारों को कम कर सकते है।’ स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि विकास का मूल आधार शिक्षा और संस्कार है जिसके माध्यम से देश नित-नयी ऊंचाईयों का छु सकता है। सुमित्रा महाजन ने कहा कि गंगा का पावन तट स्वंय को जानने का सबसे बेहतर माध्यम है। माँ गंगा की निर्मल लहरे मन को शान्ति, शीतलता और पवित्रता प्रदान करती है। उन्होने कहा कि स्वामी चिदानन्द सरस्वती योग, स्वच्छता, पर्यावरण, जल और नदियों के संरक्षण के क्षेत्र में कार्य कर रहे वह अद्भुत है; स्वामी चिदानन्द सरस्वती का प्रकृति के प्रति प्रेम हम सभी के लिये मार्गदर्शन एवं प्रेरणा का स्रोत है।प्रेमचन्द्र अग्रवाल ने कहा कि ’युवा पीढ़ी को शिक्षित कर राष्ट्र निर्माण की भावना से ओत-प्रोत करना हम सभी का कर्तव्य है। उन्होने कहा कि स्वामी चिदानन्द सरस्वती हमारे प्रेरणा स्रोत है वे भारत को समरसता और सहिष्णुता से युक्त राष्ट्र बनते देखना चाहते है। भारत नव निर्माण के दौर से गुजर रहा है अतः हम सभी कदम से कदम मिलाकर चलना होगा।स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने सुमित्रा महाजन, प्रेमचन्द्र अग्रवाल, अनीता ममगाई एवं अन्य अतिथियाें को पर्यावरण का प्रतीक रूद्राक्ष का पौधा भेंट किया।
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