प्रतिदिन करीब 30 मिनट के लिए सूर्य की रोशनी में रहना चाहिए
देेहरादून - एक अनुमान के अनुसार भारत में 4 करोड़ हृदय रोगी हैं, जिनमें से 1.9 करोड़ लोग शहरी क्षेत्रों में रहते हैं और 2.1 करोड़ ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं। हमारे देश में कार्डियो वैस्कुलर बीमारियां (सीवीडी) तेजी से महामारी की तरह फैल रही हैं और मृत्यु दर बढ़ने के प्रमुख कारणों में शुमार हो रही हैं।
इससे अधिक चिंताजनक बात यह है कि विटामिन डी की कमी सीवीडी के जोखिम को और बढ़ा सकती है। डॉ. अनुराग रावत, इंटरनेशनल कार्डियोलॉजिस्ट, एचआईएचटी अस्पताल, देहरादून ने कहा, भारतीयों में विटामिन डी की कमी के प्रमुख कारण हैं-शाकाहारी भोजन, सूरज की रोशनी से परहेज, बंद कार्यालयों में लंबे समय तक घंटों काम, और बाहरी गतिविधियां न के बराबर, तथा जागरूकता की भारी कमी। अध्ययनों के मुताबिक, विटामिन डी की कमी के कारण कोरोनरी हृदय रोग, उच्च रक्तचाप और मधुमेह की समस्याएं पैदा हो जाती हैं। विभिन्न हृदय रोगों जैसे इस्केमिक हार्ट रोग (हृदय धमनियों का पतलापन), कंजेस्टिव हार्ट फेल्यर यानी हृदय की विफलता, दिल के दौरे, परिधीय धमनी रोग और स्ट्रोक आदि के पीछे सीरम 25(ओएचडी) की कमी प्रमुख है।कॉड लिवर ऑयल: यह कॉडफिश के जिगर से प्राप्त किया जाता है और बेहद अच्छा माना जाता है। यह दर्द को कम करने में मदद कर सकता है और कैप्सूल और तेल दोनों रूप में उपलब्ध है।मशरूम: सूखे मशरूम विटामिन डी 3 के उत्कृष्ट स्रोत हैं। वे कैलोरी में कम हैं और हर दिन इनका सेवन किया जा सकता है।सैलमन मछली: यह डी 3, ओमेगा 3 और प्रोटीन का एक अच्छा स्रोत है।सूरजमुखी के बीज: ये बीज विटामिन डी 3 के अलावा मोनोअनसेचुरेेटेड वसा व प्रोटीन के स्रोत हैं। दूध से भी विटामिन डी प्राप्त होता है।अंडे की जर्दी में विटामिन डी भरपूर मात्रा में होता है।सूर्य की किरणें विटामिन डी के प्रमुख स्रोतों में से एक हैं। हालांकि, आंकड़ों के अनुसार, लगभग 65 प्रतिशत से 70 प्रतिशत भारतीय विटामिन डी की कमी से परेशान हैं और 15 प्रतिशत में यह बेहद कम है। विटामिन डी की कमी से हड्डियों को नुकसान पहुंच सकता है और वे पतली, नरम और कमजोर हो जाती हैं। हालांकि, धूप की रोशनी से जुड़ा यह विटामिन हृदय, मस्तिष्क, इम्यून सिस्टम आदि के लिए बहुत अधिक अनिवार्य है।विटामिन डी दो प्रकार का होता है। जहां विटामिन डी 2 खाद्य पदार्थों में पाया जाता है, वहीं विटामिन डी 3 सूरज की रोशनी से मिलता है। दोनों ही विटामिन शरीर के लिए महत्वपूर्ण हैं। सूरज की रोशनी में थोड़ी देर रहने से भी यह विटामिन शरीर में बनने लगता है।डॉ. रावत ने आगे बताया कि हृदय के ऊतकों में विटामिन डी रिसेप्टर व्यापक रूप से मौजूद रहते हैं। मेरी तो सलाह है कि सनस्क्रीन लगाये बिना, किसी व्यक्ति को प्रतिदिन करीब 30 मिनट के लिए सूर्य की रोशनी में रहना चाहिए, खासकर सुबह 10 बजे से दोपहर तक। विश्व हृदय दिवस पर, लोगों को विटामिन डी की कमी के नुकसान के बारे में जागरूक करना अनिवार्य है और उन्हें समय से कार्रवाई करके किसी भी संबद्ध परिस्थिति के प्रति अधिक सावधानी बरतने की जरूरत है।
इससे अधिक चिंताजनक बात यह है कि विटामिन डी की कमी सीवीडी के जोखिम को और बढ़ा सकती है। डॉ. अनुराग रावत, इंटरनेशनल कार्डियोलॉजिस्ट, एचआईएचटी अस्पताल, देहरादून ने कहा, भारतीयों में विटामिन डी की कमी के प्रमुख कारण हैं-शाकाहारी भोजन, सूरज की रोशनी से परहेज, बंद कार्यालयों में लंबे समय तक घंटों काम, और बाहरी गतिविधियां न के बराबर, तथा जागरूकता की भारी कमी। अध्ययनों के मुताबिक, विटामिन डी की कमी के कारण कोरोनरी हृदय रोग, उच्च रक्तचाप और मधुमेह की समस्याएं पैदा हो जाती हैं। विभिन्न हृदय रोगों जैसे इस्केमिक हार्ट रोग (हृदय धमनियों का पतलापन), कंजेस्टिव हार्ट फेल्यर यानी हृदय की विफलता, दिल के दौरे, परिधीय धमनी रोग और स्ट्रोक आदि के पीछे सीरम 25(ओएचडी) की कमी प्रमुख है।कॉड लिवर ऑयल: यह कॉडफिश के जिगर से प्राप्त किया जाता है और बेहद अच्छा माना जाता है। यह दर्द को कम करने में मदद कर सकता है और कैप्सूल और तेल दोनों रूप में उपलब्ध है।मशरूम: सूखे मशरूम विटामिन डी 3 के उत्कृष्ट स्रोत हैं। वे कैलोरी में कम हैं और हर दिन इनका सेवन किया जा सकता है।सैलमन मछली: यह डी 3, ओमेगा 3 और प्रोटीन का एक अच्छा स्रोत है।सूरजमुखी के बीज: ये बीज विटामिन डी 3 के अलावा मोनोअनसेचुरेेटेड वसा व प्रोटीन के स्रोत हैं। दूध से भी विटामिन डी प्राप्त होता है।अंडे की जर्दी में विटामिन डी भरपूर मात्रा में होता है।सूर्य की किरणें विटामिन डी के प्रमुख स्रोतों में से एक हैं। हालांकि, आंकड़ों के अनुसार, लगभग 65 प्रतिशत से 70 प्रतिशत भारतीय विटामिन डी की कमी से परेशान हैं और 15 प्रतिशत में यह बेहद कम है। विटामिन डी की कमी से हड्डियों को नुकसान पहुंच सकता है और वे पतली, नरम और कमजोर हो जाती हैं। हालांकि, धूप की रोशनी से जुड़ा यह विटामिन हृदय, मस्तिष्क, इम्यून सिस्टम आदि के लिए बहुत अधिक अनिवार्य है।विटामिन डी दो प्रकार का होता है। जहां विटामिन डी 2 खाद्य पदार्थों में पाया जाता है, वहीं विटामिन डी 3 सूरज की रोशनी से मिलता है। दोनों ही विटामिन शरीर के लिए महत्वपूर्ण हैं। सूरज की रोशनी में थोड़ी देर रहने से भी यह विटामिन शरीर में बनने लगता है।डॉ. रावत ने आगे बताया कि हृदय के ऊतकों में विटामिन डी रिसेप्टर व्यापक रूप से मौजूद रहते हैं। मेरी तो सलाह है कि सनस्क्रीन लगाये बिना, किसी व्यक्ति को प्रतिदिन करीब 30 मिनट के लिए सूर्य की रोशनी में रहना चाहिए, खासकर सुबह 10 बजे से दोपहर तक। विश्व हृदय दिवस पर, लोगों को विटामिन डी की कमी के नुकसान के बारे में जागरूक करना अनिवार्य है और उन्हें समय से कार्रवाई करके किसी भी संबद्ध परिस्थिति के प्रति अधिक सावधानी बरतने की जरूरत है।
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