संयुक्त परिवार के लोग रहे सावधान कोविड फैलने की संभावना ज्यादा-एम्स

ऋषिकेश–कोविड19 के विश्वव्यापी प्रकोप के इस दौर में संयुक्त परिवार में रहने वाले लोगों को कोरोना वायरस से बचाव के लिए अतिरिक्त सावधानियां बरतने की आवश्यकता है।जिसमें मास्क पहनना सबसे बड़ा सुरक्षा कवच है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स ऋषिकेश के पल्मोनरी विभाग के विशेषज्ञों के अनुसार जिन घरों के सीमित कक्ष होते हैं और उनमें कई लोग मिलकर रहते हों, उन्हें कोविड संक्रमण का खतरा ज्यादा है। चिकित्सकों ने ऐसे परिवारों के सभी सदस्यों को अनिवार्यरूप से मास्क पहनने का परामर्श दिया है।
कोरोना संक्रमण से बचाव में एक से दूसरे व्यक्ति के मध्य दो मीटर की दूरी व अनिवार्यरूप से मास्क पहनने की सलाह दी गई है।
चिकित्सकों के अनुसार ऐसे घरों जहां सीमित कक्ष हों और संयुक्त परिवार के सदस्यों की संख्या अधिक हो, ऐसे में एक छत के नीचे एक साथ रहने वाले लोगों के लिए कोविड संक्रमण से बचाव को अतिरिक्त सावधानी बरतनी होगी। अन्यथा ऐसे अपेक्षित दूरी का पालन नहीं हो पाने की स्थिति में घरों में एक से दूसरे व्यक्ति में कोविड संक्रमण का खतरा अन्य परिवारों की अपेक्षा ज्यादा बढ़ जाता है। खासकर इससे बुजुर्ग लोग व बच्चे जल्दी संक्रमित हो सकते हैं।  इस बाबत निदेशक एम्स पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत ने बताया कि कोविड19 की महामारी अभी लंबे समय तक बनी रहेगी।
लिहाजा इस बीमारी से तभी सुरक्षित रहा जा सकता है जबकि हम घर से लेकर ऑफिस तक सभी सार्वजनिक स्थानों पर सामाजिक दूरी बनाकर रखें व नियमिततौर पर अनिवार्यरूप से मास्क का उपयोग करें। निदेशक एम्स पद्मश्री प्रो. रवि कांत ने बताया कि इस बीमारी से बचने का सबसे बड़ा सुरक्षा कवच मास्क व साफ सफाई ही है। उन्होंने बताया कि मास्क पहनने से हम स्वयं के साथ साथ दूसरे व्यक्ति के  जीवन को भी सुरक्षित रख सकते हैं। इस बाबत एम्स के पल्मोनरी विभागाध्यक्ष डा. गिरीश सिंधवानी ने बताया कि जिन परिवार में घर के सदस्य सीमित कमरों में रहते हों व उनमें छोटे बच्चों व बुजुर्ग भी शामिल हों, ऐसे घरों के हरेक सदस्य को कोविड से बचाव के लिए मास्क पहनना नितांत आवश्यक है। उन्होंने बताया कि उम्रदराज लोगों में श्वास और दमा की शिकायत ज्यादा देखने को मिलती है जबकि छोटे बच्चों को अक्सर सर्दी-जुकाम की समस्या बनी रहती है। यह सब फ्लू के लक्षण होते हैं। विशेषज्ञ के अनुसार फ्लू कोरोना का सबसे बड़ा कारण और संवाहक है। जिससे कोरोना वायरस नाक और मुहं के रास्ते शरीर में प्रवेश कर जाता है। ऐसे में सीमित संसाधनों वाले घरों में मास्क नहीं पहनने पर सभी पारिवारिक सदस्य एक-दूसरे से संक्रमित हो जाएंगे। बाजार में उपलब्ध विभिन्न प्रकार के मास्क के उपयोग को लेकर उन्होंने बताया कि एन-95 मास्क केवल उन लोगों के लिए अनिवार्य है, जो हाॅस्पिटल और मेडिकल क्षेत्र में कार्यरत हैं, इनमें कोविड मरीजों की देखभाल में जुटे फ्रंट  लाइन वर्कर्स के लिए भी एन-95 मास्क पहनना बेहद जरुरी है। जबकि आम नागरिकों को कोविड संक्रमण के बचाव के लिए सूती कपड़े से बने मास्क का उपयोग करना चाहिए। ऐसे में यह ध्यान रखना होगा कि एक दिन इस्तेमाल किए गए मास्क को अच्छी तरह से साबुन-पानी से धोने के बाद ही अगले दिन इस्तेमाल में लाया जाए। उन्होंने सूती कपड़े से बने मास्क से ऑक्सीजन लेने में बाधा आने की भ्रांति को गलत बताया है। पल्मोनरी विभागाध्यक्ष डा. गिरीश सिंधवानी ने खासकर कोविड के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए श्वास और दमा रोगियों के कोविड से संक्रमण का खतरा सबसे अधिक बताया है, जिससे ऐसे लोगों के जरिए यह संक्रमण परिवार के अन्य सदस्यों में भी फैल सकता है। लिहाजा उनका कहना है कि ऐसे रोगियों को सर्जिकल मास्क का ही इस्तेमाल करना चाहिए। उन्होंने बताया कि चूंकि इस मास्क को धोया नहीं जा सकता है, लिहाजा इसे दैनिक तौर से बदल देना चाहिए।
उन्होंने बताया कि खासकर कोविड के इस खतरनाक दौर में तपेदिक अथवा सर्दी-जुकाम की शिकायत वाले व्यक्ति को कभी भी छोटे बच्चों और बुजुर्ग लोगों के नजदीक नहीं जाना चाहिए। साथ ही जिन घरों में ऐसे रोगी हैं, वहां परिवार के प्रत्येक सदस्य को घर में रहते हुए भी अनिवार्यरूप से मास्क लगाना चाहिए। मास्क को इस्तेमाल करने की विधि के बाबत बताया गया कि संक्रमण से बचाव की दृष्टि से मास्क को हमेशा एक ही साइड उपयोग में लाना चाहिए। उन्होंने आगाह किया कि एक मास्क को दोनों साइड से पहनने वाले लोग कोविड संक्रमित हो सकते है।

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