मनुष्य की समस्या के अध्ययन में सामाजिक विज्ञान की महत्वपूर्ण भूमिका
देहरादून — दून विश्वविद्यालय द्वारा रिसर्च मैथोडोलोजी विषय पर आयोजित दस दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला के समापन समारोह में मुख्य अतिथि इंडियन सांइस एकेडमी के फैलो एवं सुप्रसिद्व शिक्षाविद् तथा हे0न0ब0 गढवाल विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो0 एस0पी0 सिंह ने कहा कि शोध का विषय सत्य की खोज करना है और इस यात्रा में मिथक को तोड़कर सत्य के मार्ग पर अग्रसर होकर मनुष्य समाज की समस्याओं का अध्ययन करने में सक्षम होता है एवं उनके समाधान के विकल्प तैयार करता है। और इस प्रक्रिया में शोधार्थियों की जिम्मेदारी महत्वपूर्ण है। प्रो0 सिंह ने कहा कि आज का सामाजिक विज्ञान का दायरा वैश्विक है, इसलिये शोध की परिकल्पना को एक विस्तृत परिपेक्ष में समझने के साथ-साथ मानव कल्याण के लिये उपयोगी सिद्व करना है। शोध कार्य एवं पीएच0डी0 उपाधि के लिये किये गये कार्यो मे अन्तर किया जाना आवश्यक है। शोध का विषय ज्ञान के सृजन में वृद्वि करने से होना चाहिए, यदि शोध ज्ञान के सृजन करने में सक्षम नहीं है तो वह शोध समाज के लिये उपयोगी नहीं हो सकता।उन्होंने शोधार्थियों को जनोपयोगी शोध कार्यों को प्रोत्साहित करने का आह्वान किया।
विशिष्ट अतिथि भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली की पर्यवेक्षक एवं जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली की प्रोफेसर अमिता सिंह ने कहा कि आज के सन्दर्भ में शोध का विषय काफी व्यापक है। यह अन्तरविषयक या बहुविषयक तक सीमित न होकर ट्रांसडिसिप्लिनरी हो गया है। इसलिये शोध का विषय किसी एक विषय तक सीमित नहीं रह सकता। उसके निष्कर्ष एवं सन्दर्भ दूसरे विषयोें से सम्बधित प्रभावों को समझना शोध की सार्थकता सिद्व करता है। गुरूकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय हरिद्वार के प्रबन्ध संकाय के अध्यक्ष प्रो0 वी0के0 सिंह ने कहा कि शोध सैद्वान्तिक पहलू के साथ-साथ व्यवहारिकता से प्रेरित होना चाहिए तभी वह समाज के निर्माण में सहायक सिद्व हो सकेगा। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुलपति, प्रो0 सी0एस0 नौटियाल ने कहा कि शोध की गुणात्मकता आज एक बड़ा प्रश्न है और उसमें सुधार हो इसके लिये शिक्षक एवं शोघार्थी दोनों को कार्य करना होगा। गुणवत्ता में सुधार एक सतत् प्रक्रिया का हिस्सा है। हमें सदैव इस दिशा में अग्रसर होने के लिये कार्य करना होगा। यह कार्यशाला इस उद्देश्य में सफल होगी ऐसी हमें आशा है।
अतिथियों का स्वागत करते हुए प्रबन्धशास्त्र स्कूल के विभागाध्यक्ष प्रो0 एच0सी0 पुरोहित ने कहा कि प्रबन्धशास्त्र विभाग शोध एवं अध्यापन के लिये सदैव इस तरह के कार्यक्रम आयोजित करता रहता है जिससे छात्रों एवं शिक्षकों को सीखने एवं सिखाने के अवसर प्राप्त होते हैं।
कार्यक्रम का संचालन डाॅ0 रीना सिंह ने किया एवं धन्यवाद ज्ञापन डाॅ0 प्राची पाठक ने किया। इस अवसर पर प्रो0 हर्ष डोभाल, डाॅ0 सुधांशु जोशी, डाॅ0 आशीष सिन्हा, डाॅ0 वैशाली, डाॅ0 स्मिता त्रिपाठी, अंकित घिल्डियाल, अंकिता मन्दोलिया, साक्षी गुप्ता,मुकुल देव, पारस बम्पाल, शालिनी श्रीवास्तव, अनुराग कुशवाहा, एश्वर्य प्रताप, कुलजीत, पूजा सिंह काशिया, नरेन्द्र कुमार, शिवांगी सिन्हा, सहित विभिन्न विश्वविद्यालयों के शोधार्थी उपस्थित रहे। दस दिवसीय कार्यशाला के समापन समारोह में कुंमाऊं विश्वविद्यालय के अमरप्रीत सिंह, बाबा साहब भीम राव अन्बेडकर केन्द्रीय विश्वविद्यालय लखनऊं की इमोन श्याम, गुरूकुल कांगडी विश्वविद्यालय हरिद्वार की अपूर्वा भटनागर ने अपने अनुभव मुख्य अतिथियों के समक्ष साझाा करते हुए कार्यक्रम की सराहना की।
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