प्रधानमंत्री ने कहाकि ‘‘न गंदगी करूंगा और न ही गंदगी करने दूंगा’’-राज्यपाल

देहरादून -ओएनजीसी सभागार में स्वच्छ भारत दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में राज्यपाल डाॅ. कृष्ण कांत पाल व मुख्यमंत्री  त्रिवेंद्र सिंह रावत ने ‘‘स्वच्छ संकल्प से स्वच्छ सिद्धि’’ के अंतर्गत लघु फिल्म व निबंध प्रतियोगिताओं व ‘‘गंगा आर्ट मैराथन’’ प्रतियोगिता के विजेताओं को पुरस्कृत किया।
इस अवसर पर स्वच्छ भारत मिशन में उत्कृष्ट कार्य करने वाले अन्य लोगों को भी सम्मानित किया गया। इनमें स्वच्छ भारत मिशन में उच्च शिक्षण संस्थाओं की राष्ट्रीय स्तर की स्वच्छता रेैंकिंग में प्रथम स्थान के लिए चयनित जीबी पंत कृषि विश्वविद्यालय, पंतनगर के कुलपति, स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) में देश में प्रथम स्थान पर चयनित जिला बागेश्वर के सी.ड.ओ. व स्वच्छता जागरूकता के लिए नायाब पहल पर जिलाधिकारी उत्तरकाशी को सम्मानित किया गया। पुरस्कार विजेताओं को बधाई देते हुए राज्यपाल डाॅ. कृष्ण कांत पाल ने कहा कि महात्मा गांधी ने दक्षिण अफ्रीका में सबसे पहले सफाई के लिए जनजागरूकता की पहल की। वर्ष 2014 में गांधी जयंती पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वच्छा भारत मिशन प्रारम्भ कर स्वच्छता के महत्व को दुबारा लोगों के बीच में रखा। पिछले तीन वर्षों में स्वच्छता क मिशन को काफी कामयाबी भी मिली है। लगभग 25 करोड़ देशवासी खुले में शौच से मुक्त हो चुके हैं। लोगों की बढ़ती भागीदारी से स्वच्छता की मुहिम में और तेजी आ रही है। लोगों में अभियान के प्रति स्वीकार्यता बढ़ी है। राज्यपाल ने कहा कि स्वच्छता हमारी मानसिकता से जुड़ा प्रश्न है। गंदगी को बरदाश्त करने की मनोभावना से बाहर आना होगा। प्रधानमंत्री  ने ‘‘न गंदगी करूंगा और न ही गंदगी करने दूंगा’’ का जो संकल्प हमें दिलाया है, उसका दृढ़ निश्चय के साथ पालन करना है। केवल सफाई करनी ही नहीं है, इसे बरकरार भी रखना है। स्वच्छता का मिशन लगातार चलते रहना चाहिए।मुख्यमंत्री  त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी स्वच्छ भारत मिशन के सपने को साकार करने के लिए जन सहयोग जरूरी है। स्वच्छता अभियान केवल सरकारी कार्यक्रम तक ही सीमित न रहे,
बल्कि इसे जनआन्दोलन के रूप में आगे बढ़ाना होगा। उन्होंने कहा कि नई पीढ़ी को स्वच्छ, स्वस्थ, निर्मल एवं समृद्ध भारत के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान देना होगा। स्वच्छता को जीवन का एक हिस्सा बनाना जरूरी है। जब किसी मिशन को जनता अंगीकार कर लेती है तो वह अवश्य सफल होता है। मुख्यमंत्री  त्रिवेन्द्र ने कहा कि उत्तराखण्ड ग्रामीण क्षेत्रों में खुले में शौच मुक्त होने वाला देश का चैथा राज्य है। मार्च 2018 तक शहरी क्षेत्र को भी पूर्णतः ओडीएफ करने का लक्ष्य रखा गया है। उन्होंने खुले में शौच से मुक्ति के लिए शौचालय बनाने हेतु धनराशि को 4 हजार से बढ़ाकर 10 हजार 800 रूपये करने पर  शहरी विकास मंत्री एवं वर्तमान उपराष्ट्रपति  वैंकया नायडू  का आभार व्यक्त किया। हरिद्वार एवं ऋषिकेश में घने आबादी वाले क्षेत्रों में सामुदायिक शौचालय बनाये जायेंगे। उन्होंने कहा कि प्रदूषण को रोकने के लिए पर्यावरण का संतुलित होना जरूरी है। गंगा के संरक्षण के लिए उत्तराखण्ड वासियों का दायित्व और भी बढ़ जाता है।  उच्च शिक्षा मंत्री डाॅ.धन सिंह रावत, सांसद माला राजलक्ष्मी शाह, भाजपा प्रदेशाध्यक्ष  अजय भट्ट, मुख्य सचिव एस.रामास्वामी सहित अन्य गणमान्य उपस्थित थे।

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