आईएएस डी.सेंथिल.पांडियन ने मांगी सरकार से अपनी और परिवार की सुरक्षा
देहरादून-300 करोड़ के नेशनल हाईवे घोटाले को उजागर करने वाले निर्भीख आईएएस अधिकारी डी.सेंथिल.पांडियन ने परिवार की सुरक्षा व अपनी हत्या की आशंका ज़ाहिर करते हुए सरकार को पत्र लिखा है। ये कितना गंभीर विषय है उसका अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि यदि उत्तराखंड सरकार का एक कर्तव्यनिष्ठ अधिकारी को हत्या की आशंका है तो हम जैसे छोटे लोगो की क्या बिसात। ज्यादा दिन नही हुए जब
पांडियन ने कुमाऊं कमिशनर होते हुए 300 करोड़ के बड़े सड़क निर्माण घोटाले की जांच कर सब पोल-पट्टी खोल दी थी। लगभग एक दर्जन अधिकारी बर्खास्त हुए और सरकार को आनन-फानन में इज़्ज़त बचाने के लिए क्राइम ब्यूरो इन्वेस्टीगेशन की जांच का एलान करना पड़ा था पर शीघ्र ही बड़े आका नितिन गड़करी ने सरकार को पत्र लिखकर अधिकारी का मनोबल गिरने का हवाला दिया था।इसके बाद इस कर्तव्यनिष्ठ अफ़सर को पदमुक्त कर देहरादून भेज दिया गया। परंतु सत्य का मार्ग धारक इन बेईमानों को अब भी खड़क रहा हैं। अभी ज्यादा दिन नही हुए जब देहरादून के जिलाधिकारी को मेयर द्वारा अपनी राजनीति चमकाने के लिए प्रताड़ित किया गया था। क्या जनता ने इसी लिए डबल इंजन की सरकार चुनौती दी केंद्र में और प्रदेशों में की सरकार चुनी थी जो जीरो टॉलरेंस देगी लेकिन एेसा नही हो रहा हैं और केंद्र की मोदी सरकार को तीन साल से ज्याद का समय हो गया हैं। जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने पहले भाषण में लाल किले से कहा था ना खाऊंगा ना खाने दूंगा मैं चौकीदार हूं और इस देश की चौकीदारी करूंगा वही उसकी सरकार के मंत्री ही प्रदेश सरकार को घोटाले की जांच सीबीआई जांच के विरुद्ध पत्र लिखेंगे और कहेंगे कि अधिकारियों का मनोबल गिरता है तो फिर कहां से जीरो टॉलरेंस की सरकार हुई।कुमाउं कमिश्नर रहते हुए सैंथिल पांडियन, जिन्होंने एनएच-74 घोटाले का पर्दाफाश किया था, उनके स्थान पर देहरादून के चंद्रशेखर भट्ट को नियुक्ति दी गई है।और दूसरी तरफ जहां आईएएस अधिकारी काम करते हैं उन्हें काम नहीं करने दिया था उनका तबादला कर दिया जाता है इधर से उधर जैसे दीपक रावत , मंगेश घिल्डियाल एस एस पी डॉ सदानंद दाते , निवेदिता कुकरेती , स्वीटी अग्रवाल ऐसे अधिकारी बहुत कम मिलते हैं जो अपने कर्तव्यनिष्ठ व स्वाभिमान से अपना काम करते हैं।
पांडियन ने कुमाऊं कमिशनर होते हुए 300 करोड़ के बड़े सड़क निर्माण घोटाले की जांच कर सब पोल-पट्टी खोल दी थी। लगभग एक दर्जन अधिकारी बर्खास्त हुए और सरकार को आनन-फानन में इज़्ज़त बचाने के लिए क्राइम ब्यूरो इन्वेस्टीगेशन की जांच का एलान करना पड़ा था पर शीघ्र ही बड़े आका नितिन गड़करी ने सरकार को पत्र लिखकर अधिकारी का मनोबल गिरने का हवाला दिया था।इसके बाद इस कर्तव्यनिष्ठ अफ़सर को पदमुक्त कर देहरादून भेज दिया गया। परंतु सत्य का मार्ग धारक इन बेईमानों को अब भी खड़क रहा हैं। अभी ज्यादा दिन नही हुए जब देहरादून के जिलाधिकारी को मेयर द्वारा अपनी राजनीति चमकाने के लिए प्रताड़ित किया गया था। क्या जनता ने इसी लिए डबल इंजन की सरकार चुनौती दी केंद्र में और प्रदेशों में की सरकार चुनी थी जो जीरो टॉलरेंस देगी लेकिन एेसा नही हो रहा हैं और केंद्र की मोदी सरकार को तीन साल से ज्याद का समय हो गया हैं। जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने पहले भाषण में लाल किले से कहा था ना खाऊंगा ना खाने दूंगा मैं चौकीदार हूं और इस देश की चौकीदारी करूंगा वही उसकी सरकार के मंत्री ही प्रदेश सरकार को घोटाले की जांच सीबीआई जांच के विरुद्ध पत्र लिखेंगे और कहेंगे कि अधिकारियों का मनोबल गिरता है तो फिर कहां से जीरो टॉलरेंस की सरकार हुई।कुमाउं कमिश्नर रहते हुए सैंथिल पांडियन, जिन्होंने एनएच-74 घोटाले का पर्दाफाश किया था, उनके स्थान पर देहरादून के चंद्रशेखर भट्ट को नियुक्ति दी गई है।और दूसरी तरफ जहां आईएएस अधिकारी काम करते हैं उन्हें काम नहीं करने दिया था उनका तबादला कर दिया जाता है इधर से उधर जैसे दीपक रावत , मंगेश घिल्डियाल एस एस पी डॉ सदानंद दाते , निवेदिता कुकरेती , स्वीटी अग्रवाल ऐसे अधिकारी बहुत कम मिलते हैं जो अपने कर्तव्यनिष्ठ व स्वाभिमान से अपना काम करते हैं।
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