रोगी के सत्यापन -पत्र के बाद होगा आयुष्मान क्लेम का भुगतान

देहरादून – राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण: प्रदेश में संचालित आयुष्मान योजना के 4 वर्ष पूर्ण हो गये हैं। इस अवधि में 5 लाख 75 हजार से भी अधिक रोगियों का उपचार किया गया है। कतिपय लाभार्थियों द्वारा समय-समय पर यह शिकायत की गयी है कि चिकित्सालयों द्वारा उपचार को पूर्णतया निःशुल्क रूप से उपलब्ध नहीं कराया गया तथा चिकित्सालय द्वारा उपचार ले रहे लाभार्थी से धनराशि ली गयी, जो आयुष्मान योजना की गाईड लाइन्स तथा चिकित्सालय के साथ किये गये अनुबन्ध के विरूद्ध है।


ऐसे अनेक मामलों में प्राधिकरण द्वारा लाभार्थियों से ली गयी धनराशि को चिकित्सालय से वापस भी कराया गया।आयुष्मान योजना के चतुर्थ वर्षगांँठ पर 23 सितम्बर 22 को आयोजित आरोग्य मंथन-4 में योजना के क्रियान्वयन को पारदर्शी बनाने हेतु प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत द्वारा यह घोषित किया गया कि  2 अक्टूबर 22 से रोगी के उपचारोपरांत लाभार्थी से सत्यापन प्रमाण-पत्र लिया जायेगा कि उपचार के हेतु चिकित्सालय द्वारा कोई भी धनराशि नहीं ली गयी है तथा उसका उपचार पूर्णत नि:शुल्क किया गया है।राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण ने 28 सितम्बर 22 को इस सम्बन्ध में सभी चिकित्सालयों को आदेश निर्गत कर दिये गये हैं। इस आदेश के अनुसार चिकित्सालयों द्वारा लाभार्थी के उपचारोपरांत क्लेम प्रस्तुत करते समय लाभार्थी का सत्यापन प्रपत्र तथा इसके अतिरिक्त चिकित्सालय का प्रमाण-पत्र दाखिल किया जाना अनिवार्य कर दिया गया है।सत्यापन प्रपत्र में लाभार्थी द्वारा यह सत्यापित किया जायेगा कि चिकित्सालय द्वारा योजना के अन्तर्गत निःशुल्क उपचार किया गया है, चिकित्सालय द्वारा उपचार हेतु कोई धनराशि नही ली गयी है तथा चिकित्सालय द्वारा बाहर से भी कोई दवाई अथवा उपचार सम्बन्धी अन्य सामग्री लाभार्थी से नहीं मंगायी गयी है। इस सत्यापन प्रपत्र में लाभार्थी यह भी बतायेगा कि उसे उपचार से सम्बन्धित सभी दस्तावेजों (यथा डिस्चार्जसमरी, जांच/परीक्षण की रिपोर्ट्स, उपचार का बिल जो चिकित्सालय द्वारा क्लेम हेतु दाखिल किया जायेगा आदि) को चिकित्सालय द्वारा उपलब्ध करा दिया गया है।इस सत्यापन प्रपत्र में लाभार्थी यह भी प्रमाणित करेगा कि यह प्रपत्र उसके स्वयं (अथवा परिवार के सदस्य) द्वारा भरा गया है और चिकित्सालय के किसी स्टाफ द्वारा नहीं भरा गया है।प्राधिकरण द्वारा निर्गत आदेश में लाभार्थी के सत्यापन प्रपत्र के अतिरिक्त चिकित्सालय द्वारा भी प्रमाण-पत्र दिया जायेगा कि लाभार्थी का पूर्णत निःशुल्क उपचार किया गया है तथा उपचार से सम्बन्धित सभी दस्तावेजों को भी उसे उपलब्ध करा दिया गया है। चिकित्सालय द्वारा इस प्रमाण-पत्र में यह भी बताया जायेगा कि डिस्चार्ज के पश्चात लाभार्थी को आवश्यकतानुसार 15 दिनों तक की अवधि की दवाईयाँ निःशुल्क उपलब्ध करा दी गयी हैं। चिकित्सालय द्वारा प्रमाण-पत्र में यह भी उल्लेख किया जायेगा कि लाभार्थी के उपचार पर कितना खर्च आया और अब 5 लाख रूपये के वॉलेट में कितनी धनराशि शेष है।आदेश में चिकित्सालय के लिये यह भी अनिवार्य किया गया है कि उपचार की धनराशि के बिल पर लाभार्थी के हस्ताक्षर हों, तभी प्राधिकरण द्वारा क्लेम का भुगतान अनुमन्य होगा।प्राधिकरण द्वारा निर्गत आदेश के अनुसार चिकित्सालय द्वारा लाभार्थी को सत्यापन प्रपत्र की प्रति तथा चिकित्सालय के प्रमाण-पत्र की प्रति भी अनिवार्य रूप से उपलब्ध करानी होगी। यह नवीन व्यवस्था 2 अक्टूबर 22 से दाखिल किये जाने वाले क्लेम्स् पर लागू होगी और प्राधिकरण द्वारा लाभार्थी के सत्यापन प्रपत्र तथा चिकित्सालय के प्रमाण-पत्र प्राप्त होने और यह सुनिश्चित करने के पश्चात कि लाभार्थी का पूर्णतया निःशुल्क उपचार हुआ है, चिकित्सालय को क्लेम का भुगतान किया जायेगा।प्राधिकरण द्वारा लाभार्थी के सत्यापन प्रपत्र तथा चिकित्सालय के प्रमाण-पत्र के सम्बन्ध में की गयी इस नवीन व्यवस्था से जहाँ योजना के अन्तर्गत लाभार्थियों का सशक्तिकरण होगा, वहीं दूसरी ओर चिकित्सालयों को क्लेम्स् का समय से शीघ्र भुगतान करने में भी सुविधा होगी। साथ ही, निःशुल्क उपचार के सम्बन्ध में किसी शिकायत की स्थिति भी उत्पन्न नहीं होगी। यह नवीन व्यवस्था योजना के पारदर्शी क्रियान्वयन की दृष्टि से भी एक महत्वपूर्ण कदम होगा।




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