न्यायमूर्ति की फोटो व्हट्सअप डीपी पर लगाने वाले ठग गिरफ्तार
देहरादून – उपनिरीक्षक दिलबर सिंह नेगी, एसटीएफ देहरादून ने थाना कोतवाली पर सूचना दी कि एक साइबर गिरोह जो कि न्यायमूर्ति की फोटो अपने मोबाइल की डीपी पर लगा कर भारत सरकार के मंत्रालयों एवं राज्य सरकार के मंत्रालयों एवं विभिन्न वरिष्ठ अधिकारियों को अपने प्रभाव में लेकर आम लोगों से काम करवाने के एवज में ठगी करने का प्रयास कर रहे हैं।
जगह-जगह लाखों रुपए लोगों से काम करवाने के एवज में ले रहे हैं। जिस पर थाना कोतवाली नगर पर मुकदमा अपराध संख्या 334/2022 धारा 419/420 भादवि के तहत पंजीकृत किया गया। अभियोग के अनावरण को वरिष्ठ अधिकारी द्वारा टीम गठित कर प्रकरण में जांच कर आवश्यक कार्रवाई करने को निर्देशित किया गया। जांच के दौरान पुलिस टीम को एक संदिग्ध मोबाइल नम्बर की जानकारी प्राप्त हुई, जो कि मनोज कुमार नाम के व्यक्ति के नाम पर रजिस्टर्ड होना ज्ञात हुआ एवं उक्त नम्बर के द्वारा कुछ दिन पूर्व भी न्यायमूर्ति उच्चतम न्यायालय की डीपी अपने मोबाइल पर लगा कर स्वंय को न्यायमूर्ति उच्चतम न्यायालय बताते हुए शासन में तैनात एक वरिष्ठ आई0ए0एस0 अधिकारी से काम कराने के लिए फोन एवं मैसेज किया जाना प्रकाश मे आया तथा 06-07-22 को जब इस व्यक्ति ने एक अन्य व्यक्ति व दो महिलाओं के साथ सचिवालय में तैनात वरिष्ठ आईएएस अधिकारी से मिले तो उनके द्वारा भी स्वंय को उच्चतम न्यायालय के न्यायमूर्ति बताने वाले व्यक्ति पर शक जाहिर किया गया था।
गठित टीम ने तथ्यों को जांच में लाकर संदिग्ध नंबरों के संबंध में जानकारी एकत्र की गई तथा संयुक्त टीम द्वारा अभियुक्तों की गिरफ्तारी को जनपद नोएडा में जाकर स्थानीय मुखबिरों व अन्य माध्यमों से संदिग्ध गिरोह के सम्बन्ध में गोपनीय सूचनाएं संकलित की गयी। प्रमाणित सूचना एवं तथ्यों के आधार पर 9 जुलाई 2022 को पुलिस टीम ने जनपद नोएडा, सेक्टर 50 महागुन मेपल सोसाइटी में रेड/दबिश डाली गई, जहां पर दो व्यक्ति मौजूद मिले। दोनों व्यक्तियों की तलाशी लेने पर उनसे प्राप्त मोबाइल फोनों को चैक किया गया तो दोनों व्यक्तियों के मोबाइल नंबर पर कई मंत्रालयों के नंबर एवं कई वीआईपी के नंबर सेव होना ज्ञात हुआ तथा उन मोबाइल नम्बरों से शासन केे वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों को न्यायमूर्ति के नाम से मैसेज किया जाना प्रकाश में आया। जिस पर पुलिस टीम ने मोबाइलों व सिम कार्ड को अपने कब्जे में लेकर मौके से मनोज कुमार पुत्र जुगल किशोर पता 110 महागुन मेपल सेक्टर 50 नोएडा उत्तर प्रदेश और राजीव अरोड़ा पुत्र हेमराज निवासी बरनाला पंजाब हाल पता महागुन मेपल सेक्टर 50 को गिरफ्तार किया गया। पूछताछ में दोनों ने अपना जुर्म कुबूल किया गया। पूछताछ में अभियुक्त मनोज कुमार उम्र 52 वर्ष ने बताया गया कि मैं और मेरा साथी राजीव अरोड़ा उम्र 54 वर्ष दोनों बचपन के दोस्त हैं, मेरे द्वारा दिल्ली मॉडल स्कूल लाजपत नगर से 12वीं की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद नौकरी तलाशने का प्रयास किया गया एवं मोदी रबर लिमिटेड में 05 वर्षों तक क्वांटिटी कंट्रोलर के रूप में नौकरी की, लेकिन पर्याप्त पैसा न मिलने के कारण मैने लोगों को विदेश भेजने के नाम पर पासपोर्ट व वीजा का कार्य भी किया एवं एम्बेसी में कई लोगों को विदेश भेजने के लिए फर्जी कागजात तैयार कर उन्हें विदेश भी भेजा गया, लेकिन बाद में एम्बेसी ने उक्त प्रकरण का संज्ञान लेकर हमारे खिलाफ चाणक्यपुरी थाने में मुकदमा पंजीकृत कराया। उसके बाद हमारे विरुद्ध एम्बेसी में वीजा लगाने के लिए फर्जी कागजात इस्तेमाल करने के आरोप में कई और मुकदमे भी दर्ज हुए और उपरोक्त अपराधों में कई बार हम जेल भी गये, परन्तु कोई और काम नहीं मिलने के कारण हम लगातार इसी प्रकार से ठगी का काम करते रहे। इसके पश्चात वर्ष 2015 के आसपास मैने पुरवाई पान मसाला प्राइवेट लिमिटेड एवं पूर्वी प्रोडक्शन के नाम से कम्पनियां खोली एवं दोनों कंपनियों में व्यवसाय प्रारंभ किया, लेकिन वर्ष 2017 में आयकर विभाग द्वारा सेंट्रल एक्साइज टैक्स न देने के जुर्म में करीब 265 करोड रुपए टैक्स चोरी करने का एवं पेनल्टी सहित कुल 850 करोड रुपए का टैक्स लगा दिया। टैक्स न भरने के कारण मुझे जेल जाना पड़ा एवं 2017 से वर्ष 2020 तक मैं मेरठ जेल में बंद रहा। जेल से बाहर आने के बाद जब मेरी आर्थिक हालत बहुत नाजुक हो गई तब मैंने वह मेरे साथी राजू अरोड़ा ने भारत सरकार के मंत्रियों एवं न्यायमूर्ति यों के नाम पर लोगों को ठगने एवं आम लोगों का काम कराने के एवज में पैसा लेना शुरू कर दिया। हमने कई लोगों से इसी तरह ठगी कर पैसे लिए, इसी दौरान हमारी मुलाकात एक महिला गीता प्रसाद से हुई, जिस ने बताया कि देहरादून में मेरा एक क्लाइंट है, जिसकी जमीन खाली करानी है, अगर देहरादून में उसका काम हो जाए तो वह पार्टी 5000000/- (पचास लाख) रू0 तक दे सकती है। पचास लाख रुपए के लालच में आकर मैंने एक नया सिम कार्ड लिया और अपने साथी राजीव अरोड़ा के साथ मिलकर हमने उस सिम कार्ड को ट्रू कॉलर में उच्चतम न्यायालय में न्यायमूर्ति के नाम से फीड किया। उसके पश्चात हम देहरादून पहुंचे व 1 जुलाई से 6 जुलाई तक देहरादून में ही रुके इस दौरान हमारी मुलाकात दो व्यक्तियों से हुई, जिनकी देहरादून में करोड़ों रुपए की जमीन थी जिसे खाली करवाना था तथा जिसके एवज में वह पार्टी पचास लाख रूपये देने को तैयार थी। हमने उन्हें उनका काम करवाने के लिये उत्तराखण्ड शासन में तैनात एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी से मिलवाने की बात कही तथा ट्रू कॉलर में फीड किये गये फर्जी नम्बर से हमने उत्तराखंड सचिवालय में तैनात वरिष्ठ आईएएस अधिकारी को मैसेज किया तथा स्वयं को उच्चतम न्यायालय का न्यायमूर्ति बताकर उनसे टाइम लेकर उन व्यक्तियों के साथ उनसे मिलने सचिवालय देहरादून गए। जहां वरिष्ठ आईएएस अधिकारी से मिलने के बाद हम वापस आ गए थे। उक्त व्यक्तियों को हमारे द्वारा काम हो जाने का भरोसा दिलाया गया था, जिसके एवज में हमें तय की गयी रकम मिलनी थी परन्तु उससे पहले ही पुलिस द्वारा हमें गिरफ्तार कर लिया गया।
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