अपने अंतिम ट्वीट मैं जीवन भर इस दिन को देखने की प्रतीक्षा कर रही थी

मुख्यमंत्री–  त्रिवेन्द्र ने मीडिया से अनौपचारिक वार्ता करते हुए कहा कि सुषमा  स्वराज अब हमारे बीच में नहीं हैं।यह देश के लिए अपूरणीय क्षति है।सुषमा स्वराज के सम्मान में उत्तराखंड में एक दिन का राजकीय शोक घोषित तो दिल्ली सरकार ने सुषमा स्वराज के सम्मान में दो दिन का राजकीय शोक घोषित किया हैं। जम्मू कश्मीर से धारा 370 को हटाने के लिए लम्बी लड़ाई लड़ी गई। इसमें उनका भी महत्वपूर्ण योगदान रहा। धारा 370 हटने के बाद उन्होंने ट्वीट किया कि ‘‘प्रधानमंत्री जी आपका अभिनंदन। मैं जीवन भर इस दिन को देखने की प्रतीक्षा कर रही थी।’’यह उनका अंतिम ट्वीट था। उनका उत्तराखण्ड से विशेष लगाव था। सुषमा स्वराज  उत्तराखण्ड से राज्यसभा सांसद भी रहीं। प्रदेश को ऋषिकेश एम्स उनकी ही देन है। अटल बिहारी वाजपेयी जब भारत के प्रधानमंत्री थे, उस समय स्वास्थ्य मंत्री रहते हुए सुषमा  सुषमा स्वराज ने ही एम्स ऋषिकेश की नींव रखी थी।

उस समय देश में 06 एम्स खोले गये। जिनमें से एम्स ऋषिकेश सर्वोच्च स्थान पर चल रहा है। कई बार उत्तराखण्ड के नौजवान जब विदेशों में किन्हीं कारणों से फंस जाते थे, तो स्व० सुषमा स्वराज  को एक संदेश भेजने पर वो शीघ्र उनकी वापसी की कार्यवाही शुरू कर देती थी। समाज के हर वर्ग के लोगों की समस्याओं को वे बड़ी सादगी से सुनती थी, और समस्याओं के समाधान के लिए हर संभव प्रयास करती थी।  मुख्यमंत्री ने कहा कि सुषमा स्वराज विद्यार्थी जीवन से ही राजनीतिक व सामाजिक कार्यों में सक्रिय थी। लम्बे समय तक उन्होंने देश के लाखों कार्यकर्ताओं का मागर्दशन किया।
वे एक प्रखर वक्ता थी, उनकी भाषण शैली से हर कोई प्रभावित होता था। भारत के विदेश मंत्री, 1998 में दिल्ली की प्रथम महिला मुख्यमंत्री के रूप में उन्होंने दिल्ली की सेवा की।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सुषमा स्वराज ने देश में हिन्दी भाषा के लिए बहुत बड़ा कार्य किया। संयुक्त राष्ट्र संघ में जाकर उन्होंने हिन्दी में भाषण दिया। 25 साल की आयु में ही वे हरियाणा से विधायक एवं मंत्री बन गई थी। उनका व्यक्तित्व बहुत ही प्रभावशाली था। 

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