खाली मैदान में तम्बू लगाकर विधानसभा सत्र करवाने का साहस.....

देहरादून- कांग्रेस पार्टी के उपाध्यक्ष जोत सिंह बिष्ट  ने कहा कि उत्तराखण्ड की भाजपा सरकार ने अपना दूसरा बजट गैरसैंण में प्रस्तुत करते हुए इस बजट को ऐतिहासिक बजट करार दिया, गैरसैंण में बजट का पूर्ण सत्र जिसमें राज्यपाल के अभिभाषण से लेकर बजट प्रस्तुत करना और पारित करवाना निश्चित रूप से ऐतिहासिक कार्य माना जाना चाहिए, लेकिन यदि गैरसैंण में यह ऐतिहासिक कार्य हुआ तो क्या इसका श्रेय केवल भाजपा की इस सरकार को ही दिया जाना चाहिए या फिर गैरसैंण में पहली कैबिनेट की बैठक से शुरू करके खाली मैदान में तम्बू लगाकर विधानसभा सत्र करवाने का साहस दिखाने वाली उस गठबन्धन की कांग्रेस सरकार के खाते में भी इस ऐतिहासिकता को गढ़ने का श्रेय  जाना चाहिए या नहीं इस पर भी एक इमानदार चर्चा करने की आवश्यकता है।राज्य जब 2013 की आपदा की भीषण
त्रासदी से जूझ रहा था तथा हजारों लोग काल का ग्रास  बन गए थे, उत्तरखण्ड के पर्वतीय क्षेत्र का कोई जिला ऐसा नहीं था जो इस आपदा से अछूता रहा हो, लगता था कि अगले 5 साल तक किसी भी तरह चार धाम यात्रा शुरू कराना सम्भव नहीं हो पाएगा, कांग्रेस में तत्कालीन सरकार की  आपदा राहत की समीक्षा के उपरान्त नेतृत्व परिवतन कर हरीश रावत को जिम्मेदारी सौंपी तो हरीश रावत ने नए सिरे से आपदा प्रबन्धन का कार्य युद्ध स्तर पर शुरू करने के साथ अपनी पारी की शुरूआत की इसी बीच केन्द्र में सत्ता परिवर्तन हुआ और नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा नीत एन0डी0ए0 की सरकार सत्तासीन हुई, इस सरकार के गठन के साथ ही
उत्तराखण्ड समेत गैर भाजपाई सरकारों वाले राज्यों के सामने नई परिस्थितियां आई। आपदाग्रस्त उत्तराखण्ड के पुर्ननिर्माण से लेकर केन्द्र से मिलने वाली अलग-अलग करों की धनराशि पर केन्द्र सरकार द्वारा कोई न कोई बहाना बनाकर रोक लगाई गई, राज्य के सामने आर्थिक संकट खड़ा किया गया, राज्य में राजनैतिक षड़यंत्र के माध्यम से सरकार को सत्ताच्युत करने का भी षड़यंत्र हुआ लेकिन इन सारे झंजावतों के बीच प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने मुख्यमंत्री हरिश रावत के नेतृत्व में जहां एक ओर आपदा ग्रस्त राज्य को फिर से अपने पैरों पर खड़ा करने में सफलता हासिल की वहीं दूसरी ओर गैरसैंण के प्रति राज्य के शहीदों और आन्दोलनकारियों  की भावना क सम्मान करते हुए पूरी संकल्पबद्धता के साथ राज्य सीमित संसाधनों में ही गैरसैंण में राजधानी निर्माण की दिशा में कदम बढ़ाते हुए विधानसभा भवन और विधायक आवास निर्माण शुरू करवाया, जो आज बनकर तैयार खड़े हैं तथा भराड़ीसैंण की प्राकृतिक सुन्दरता में चार चांद लगाने के साथ गैरसैंण के प्रति कांग्रेस की ईमानदार सोच को परिलक्षित कर रहे हैं।दूसरी तरफ 2017 के चुनाव में जनता ने जब भाजपा को सत्ता सौंपी थी तो जून 2017 में अपने पहले विधानसभा सत्र में राज्यपाल के अभिभाषण में गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन
राजधानी बनाने की दिशा में काम करेंगे का सर्वप्रथम उल्लेख था लेकिन बजट में गैरसैंण के लिए कुछ भी नहीं था, पूरे वर्ष भर भाजपा सरकार ने गैरसैंण में एक ईंट भी नहीं लगाई। इस बजट में राज्यपाल के अभिभाषण में गैरसैंण जिक्र तक नहीं है और बजट में भी गैरसैंण में राजधानी से मुताबिक निर्माण के लिए कोई प्रावधान नही है तो फिर भाजपा के नेता कुछ भी रहें सच्चाई सबके सामने है जो चीख-चीख कर कह रही है कि भाजपा गैरसैण के प्रति ईमानदार नहीं है, जबकि गैरसैंण को राजधानी बनाने या राज्य की स्थाई राजधानी पर फैसला लेेेेनेे का यही सबसे सही समय है केन्द्र से लेकर प्रदेश में दोनों जगह एक ही पार्टी की सरकार होने के साथ स्थाई राजधानी का फैसला होने पर राजधानी के निर्माण के लिए  केन्द्र से पर्याप्त सहायता मिलने की भी उम्मीद की जा सकती है। इसलिए लोगों की नजरें सरकार की तरफ है देखना यह है कि भाजपा की यह सरकार जनभावनाओं का सम्मान करती है या अपनी केन्द्र की सरकार की तर्ज पर अच्छे दिनों का इन्तजार करवाने की तरह उत्तराखण्डवासियों की राजधानी का इन्तजार करवाएगी।



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