किसान भवन में आयोजित उत्तराखंड आम महोत्सव
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत के साथ उद्यान मंत्री सुबोध उनियाल ने उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग द्वारा वीर शिरोमणि माधोसिंह भंडारी किसान भवन रिंग रोड में आयोजित उत्तराखंड आम महोत्सव में विभिन्न प्रजातियों के आमों का अवलोकन किया मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने कहा कि मैं शिक्षा, कृषि तथा उद्यान विभाग को सबसे अधिक महत्वपूर्ण मानता हूं व किसानों के प्रति राज्य सरकार की नीति स्पष्ट है। किसान भवन कृषकों के लिए गर्व का विषय है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने कहा कि आज उत्तराखंड में 36000 हेक्टेयर भूमि में आम पैदा किए जा रहे हैं। राज्य में डेढ़ लाख मीट्रिक टन आम उत्पादन हो रहा है। यद्यपि राज्य में खेती योग्य भूमि बहुत कम है, साथ ही हमें अपनी भूमि को भू-माफियाओं के अतिक्रमण से भी बचाना है। वह बाग-बगीचों का संरक्षण में परिवर्धन हम सब की सामूहिक जिम्मेदारी है। कृषि व बाग-बगीचों से ना केवल हमारी भविष्य की जरूरत पूरी होगी बल्कि पर्यावरण संरक्षण भी होगा। जहां पेड़ हमारी आर्थिकी से जुड़े हैं वही यह हमारे इको सिस्टम का अनिवार्य अंग है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने कहा कि कृषि कर्मचारियों की आए तो निर्धारित होती है परंतु हमें सोचना होगा कि क्या किसानों की आय भी सुनिश्चित की जा सकती है। आज किसानों के कल्याण व कृषि विकास हेतु अनेक सुविधाएं मौजूद हैं। प्रधानमंत्री की फसल बीमा योजना के अंतर्गत किसानों की फसल बुआई से लेकर कटाई तक हर स्तर पर बीमित है। प्रधानमंत्री ने हमारे समक्ष किसानों की आय 2022 तक दोगुना करने का लक्ष्य रखा है।
फसलों के संदर्भ में आपदा का मुआवजा डेट गुनाह कर दिया गया है। राज्य सरकार शीघ्र ही नर्सरी एक्ट लाने जा रही है यदि किसान नर्सरी से पौधे खरीदते है तो उसकी उत्पादकता की गुणवक्ता भी सुनिश्चित होगी। नर्सरी संचालकों की जिम्मेदारी भी तय होगी। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि उत्तराखंड जैसा राज्य जिसकी जलवायु अनुकूल है। यहां से रणनीति अपनाकर प्रधानमंत्री द्वारा निर्धारित लक्ष्य को पूरा किया जा सकता है। राज्य में सुगंधित खेती अत्यंत ही लाभकारी सिद्ध होगी। सुगंधित खेती से जहां जंगली जानवरों से खेती के नुकसान का भय नहीं होता, वहीं यातायात व्यय भी अधिक नहीं होता तथा कोल्ड स्टोरेज की भी व्यवस्था नहीं करनी पड़ती। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने राज्य के किसानों से अपील की है कि कृषि व उद्यान विकास हेतु किसान अपने सुझाव सरकार को व्यक्तिगत रुप से भी दे सकते हैं।
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